एक तो आग बरसाती गर्मी, ऊपर से बिजली की बढ़ती डिमांड ने पश्चिमांचल विद्युत वितरण निगम (PVVNL) के बिजली कर्मचारियों और अफसरों के होश उड़ा दिए हैं. दम तोड़ते बिजली के उपकरण भी गर्मी और डिमांड को नहीं झेल पा रहे हैं. नतीजा नोएडावासियों को दिन और रात में कई-कई बार बिजली कटौती झेलनी पड़ रही है. बीते दो साल के मुकाबले नोएडा में बिजली की डिमांड भी डबल हो गई है. 4 लाख से ज्यादा बिजली उपभोक्ताओं को लगातार बिजली देना मुश्किल होता जा रहा है. लोड बढ़ने और गर्मी के चलते हर तीन-चार घंटे बाद कटौती शुरू हो जाती है.

40 साल पुराना है नोएडा का बिजली सिस्टम

जानकारों की मानें तो 40 साल पहले नोएडा का बिजली सिस्टम खड़ा किया गया था. यह सिस्टम उस वक्त की नोएडा की आबादी को ध्यान में रखते हुए तैयार किया गया था. बावजूद इसके सिस्टम को इस तरह से तैयार किया गया था कि बिजली की लाइनें 1500 मेगावाट  लोड पर अच्छे से काम कर सकें. लेकिन वक्त बढ़ने के साथ नोएडा भी चारों दिशाओं में बढ़ता चला गया.

आबादी, कंपनी और फैक्ट्रियां बढ़ने के चलते बिजली की डिमांड भी बढ़ती चली गई. दो साल में ही बिजली की डिमांड 950 से 2000 मेगावाट पर आ गई है. जिसका असर यह हुआ कि नोएडा के पुराने हो चुके बिजली सिस्टम की सांस फूलने लगी है.

फैक्ट्रियों में चार तो घरों में 6 घंटे हो रही है कटौती

गर्मी और बिजली की लाइन पर लोड बढ़ने से जगह-जगह फॉल्ट हो रहे हैं. कहीं-कहीं लोड बढ़ते ही लाइन और ट्रांसफार्मर को बचाने के लिए शटडाउन भी लिया जा रहा है. वजह जो भी रहे लेकिन कटौती का सामना नोएडा वालों को करना पड़ रहा है. पीवीवीएनएल के सामने भी दोहरी परेशानी है. उसे बिजली के उपकरण भी बचाने हैं तो बिजली की ज्यादा से ज्यादा सप्लाई भी देनी है. इसी के चलते फैक्ट्री वाले इलाकों में चार घंटे तो रिहाइशी इलाकों में 6 घंटे तक बिजली कटौती की जा रही है. रविवार को भी रिहाइशी सेक्टर-2,3,4,5,6,7,8,9,10,11, 64,65,57 में और फैक्ट्रियों वाले सेक्टर- 22, 23, 24, 32 में भी दिनभर कटौती का खेल जारी रहा.

पीवीवीएनएल से जुड़े जानकारों की मानें तो नोएडा में बिजली सब स्टेशन का भी एक बड़ा जाल है. 670 से ज्यादा बने सब स्टेशन से नोएडा को बिजली सप्लाई की जाती है. इसमे 400 केवी के दो और 132 केवी के 4 स्टेशन तो ऐसे हैं जो 33 और 11 केवी के सैकड़ों सब स्टेशन को बिजली सप्लाई करते हैं. 33 केवी के 100 और 11 केवी के 566 सब स्टेशन हैं. इतना ही नहीं इन सभी सब स्टेशन से 24 हजार से ज्यादा छोटे-बड़े ट्रांसफार्मर भी जुड़े हुए हैं.

ऐसे में सब स्टेशन और ट्रांसफार्मर के जाल को पीवीवीएनएल कर्मचारियों और अफसरों के लिए जरूरी हो जाता है. क्योंकि इसमे से अगर कोई एक भी खराब हुआ तो उस इलाकों को घंटों के लिए लगातार बिजली सप्लाई से वंचित रहना पड़ेगा. ऐसे में कर्मचारी सिर्फ बारिश होने की दुआ कर रहे हैं. क्योंकि बारिश होने के बाद बिजली की डिमांड में कमी आ जाएगी.