पेट्रोल-डीजल पर कमीशन बढ़ाने के लिए आज देशभर में करीब 70 हजार पेट्रोल पंप तेल कंपनियों के विरोध में उतर आए हैं. इन पेट्रोल पंप के मालिकों ने 31 मई को ऑयल मार्केटिंग कंपनियों (OMC) से पेट्रोल-डीजल नहीं खरीदने का ऐलान किया है.
पंप मालिकों का कहना है कि पेट्रोल-डीजल की खुदरा कीमतें बढ़ने के बाद पेट्रोलियम कंपनियां खूब मुनाफा कमा रही हैं, लेकिन डीलर्स के कमीशन में कोई बढ़ोतरी नहीं की गई है. OMC से अपना कमीशन बढ़ाने की मांग को लेकर आज मंगलवार को देश के 24 राज्यों में करीब 70 हजार पेट्रोल पंप मालिक विरोध कर रहे हैं. उन्होंने एक दिन के लिए कंपनियों से तेल नहीं खरीदने का ऐलान किया है.
ग्राहकों को नहीं होगी कोई दिक्कत
राज्यों के पेट्रोल डीलर संगठनों की ओर से यह विरोध प्रदर्शन किया जा रहा है. दिल्ली पेट्रोल डीलर एसोसिएशन के अध्यक्ष अनुराग जैन ने कहा, इस विरोध का खुदरा बिक्री और ग्राहकों पर कोई असर नहीं पड़ेगा. पेट्रोल पंप के पास दो दिन का स्टॉक होता है. लिहाजा वे खुदरा ग्राहकों को मंगलवार को भी पेट्रोल-डीजल की बिक्री करेंगे. इसका असर सिर्फ कंपनियों से खरीद तक ही सीमित रहेगा.
इन राज्यों में हो रहा विरोध
पेट्रोल डीलर संगठनों ने आज 24 बडे़ राज्यों में कंपनियों से तेल नहीं खरीदने का विरोध किया है. इसमें तमिलनाडु, कर्नाटक, केरल, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, दिल्ली, पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, गुजरात, महाराष्ट्र, हिमाचल प्रदेश, बिहार, असम, मेघालय, अरुणाचल प्रदेश, मिजोरम, नगालैंड, मणिपुर, त्रिपुरा, सिक्किम के अलावा उत्तर बंगाल और यूपी, मध्य प्रदेश के भी कई डीलर शामिल हैं.
पांच साल से नहीं बदला कमीशन का रेट
डीलर संगठनों का आरोप है कि OMC और डीलरों के बीच हुए एग्रीमेंट के तहत हमारा मार्जिन हर 6 महीने में बदलना चाहिए, लेकिन साल 2017 से ही इसमें कोई बदलाव नहीं हुआ है. ऐसा तब है जबकि इस दौरान पेट्रोल और डीजल की खुदरा कीमत लगभग दोगुनी हो चुकी है. इतना ही नहीं इस दौरान डीलरों को बिजनेस के लिए दोगुनी पूंजी भी लगानी पड़ी, जिसके लिए ज्यादा लोन भी लिया और अब ब्याज भी अधिक चुका रहे. दिल्ली में आज 400 पेट्रोल पंपों पर जबकि महाराष्ट्र में 6,500 पंपों पर कंपनियों से तेल नहीं खरीदा जाएगा.
अभी इतना मिलता है कमीशन
पेट्रोल पंप डीलर्स को अभी पेट्रोल की खुदरा बिक्री पर प्रति लीटर 2.90 रुपये और डीजल पर 1.85 रुपये का कमीशन मिलता है. अनुराग जैन ने कहा, साल 2017 में कंपनियों ने 1 रुपये प्रति लीटर कमीशन बढ़ाया था, जिसमें से 40 पैसे लाइसेंस फीस के नाम पर काट लिए थे. इन पांच सालों में हमारे ऊपर बिजली बिल, कर्मचारियों की सैलरी और बैंक चार्ज सहित तमाम खर्च लद गया है. लिहाजा अब हमने यह विरोध का रास्ता अपनाया है, ताकि कंपनियां हमारी मांगों पर विचार करें.