दिल्ली विधानसभा ने सोमवार को विधायकों के वेतन एवं भत्तों में 66 फीसद से अधिक की वृद्धि से संबंधित विधेयक को मंजूरी प्रदान कर दी. अब इस विधेयक को राष्ट्रपति की मंजूरी के लिए भेजा जाएगा. राष्ट्रपति की मंजूरी मिलते ही दिल्ली के विधायकों की सैलरी बढ़ जाएगी. हालांकि, इस बढ़ोतरी के बाद भी दिल्ली के विधायकों की सैलरी तेलंगाना, हिमाचल प्रदेश के विधायकों की तुलना में कम ही रहेगी.
दरअसल, मौजूदा वक्त में दिल्ली में विधायक को वेतन एवं भत्ते के तौर पर 54,000 रुपए प्रति माह मिलते हैं, जो राष्ट्रपति की मंजूरी मिलने के बाद बढ़कर 90,000 रुपए प्रति माह हो जायेंगे. आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, एक विधायक को फिलहाल 12,000 रुपए प्रतिमाह वेतन मिलता है जो राष्ट्रपति से विधेयक को मंजूरी मिलने पर बढ़कर 30,000 हो जाएगा. निर्वाचन भत्ता 18,000 रुपये से बढ़कर 25,000 रुपये हो जाएगा और वाहन भत्ता 6,000 रुपए से बढ़कर 10,000 रुपए हो जाएगा. इसी प्रकार टेलीफोन भत्ता अब 8,000 रुपए की जगह 10,000 रुपए मिलेगा तथा सचिवालय भत्ता 10000 रुपए से बढ़कर 15000 रुपए हो जाएगा.
एक गैर-लाभकारी संगठन पीआरएस लेजिस्लेटिव के आंकड़े बताते हैं कि हिमाचल प्रदेश के विधायक 55,000 रुपये वेतन लेते हैं, जबकि निर्वाचन क्षेत्र भत्ता, दैनिक भत्ता, सचिवीय भत्ता, टेलीफोन भत्ता क्रमश: 90,000 रुपये, 1,800 रुपये, 30,000 रुपये, 15,000 रुपये है. वहीं, केरल के विधायकों का वेतन दिल्ली के विधायकों की तुलना में कम है और केवल 2,000 रुपये है, जबकि उनके पास सचिवीय भत्ता नहीं है, जबकि निर्वाचन क्षेत्र भत्ता 25,000 रुपये है.
तेलंगाना के विधायकों का वेतन 20,000 रुपये है लेकिन निर्वाचन क्षेत्र भत्ता 2.3 लाख रुपये है जबकि कोई अन्य भत्ता नहीं है. आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, उत्तराखंड, छत्तीसगढ़, मिजोरम और पश्चिम बंगाल में विधायकों का संबंधित वेतन 12,000 रुपये, 30,000 रुपये, 20,000 रुपये, 25,000 रुपये, 80,000 रुपये और 10,000 रुपये है. आंध्र प्रदेश के विधायकों का निर्वाचन क्षेत्र भत्ता 1.13 लाख रुपये है, जबकि तमिलनाडु, उत्तराखंड, छत्तीसगढ़, पंजाब, मिजोरम और पश्चिम बंगाल के लिए यह आंकड़ा क्रमश: 25,000 रुपये, 1.5 लाख रुपये, 30,000 रुपये, 25,000 रुपये, 40,000 रुपये और 4,000 रुपये है.
छत्तीसगढ़ के विधायकों को ऑर्डरली अलाउंस 15,000 रुपये, चिकित्सा भत्ता 10,000 रुपये जैसे भत्ते मिलते हैं. दिल्ली के विधायक पहले भी कई बार कम वेतन का मुद्दा उठा चुके हैं. यहां बताना जरूरी है कि दिल्ली के विधायकों के वेतन और भत्ते पिछली बार 2011 में बढ़ाए गए थे. मंत्रियों, विधायकों, मुख्य सचेतक, विधानसभा अध्यक्ष, उपाध्यक्ष और विपक्ष के नेता के वेतन में वृद्धि से संबंधित पांच अलग-अलग विधेयक सदन में पेश किये गये और सदस्यों ने उन्हें पारित किया. उन्हें अब राष्ट्रपति की मंजूरी के लिए भेजा जाएगा. भाजपा विधायक एवं विधानसभा में विपक्ष के नेता रामवीर सिंह बिधूड़ी ने भी इस वेतन वृद्धि का समर्थन किया.